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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।

अथवा
राजपद से क्या तात्पर्य है? इसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. राजपद क्या है?
2. राजपद की शक्तियों का वर्णन कीजिए।
3. इंग्लैण्ड में सीमित राजतंत्र का क्या तात्पर्य है?

उत्तर -

राजपद
(Crown)

क्राउन से तात्पर्य उस ताज या राजमुकुट से है जिसे ब्रिटेन का सम्राट या साम्राज्ञी सिंहासनारूढ़ होने के पश्चात् अपने सिर पर धारण करता है। पर संवैधानिक दृष्टि से यह शासन शक्ति का प्रतीक है जिसमें समस्त कार्यपालन व्यवस्थापन एवं न्यायपालन संबंधी शक्तियाँ निहित होती हैं।

राजपद की स्थिति समय के प्रवाह में परम्पराओं व संसदीय अधिनियमों से प्रभावित रही। वर्तमान में राजपद संबंधी व्यवस्था में सबंध में निम्नांकित तथ्य उल्लेखनीय हैं।

1. 1689 के बिल आफ राइटस (Bill of Rights) के अनुसार रोमन कैथोलिक परिवार से संबंधित कोई व्यक्ति राजपद ग्रहण नहीं कर सकता। राजा का विवाह भी कैथोलिक मतावलंबी महिला निश्चित होता है।

2. 1701 के उत्तराधिकार कानून (Act of Settlement) के अनुसार ही राजपद का उत्तराधिकार निश्चित होता है।

3. 1867 के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम ( People's Representative Act) के अनुसार अब राजा के देहावसान से संसद की कार्यविधि अप्रभावित रहती है।

4. 1937 एवं 1953 के रीजेन्सी अधिनियमों (Regency Acts) के द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि राजा के अस्वस्थ होने या विदेश यात्रा के समय राजपरिवार के कुछ व्यक्तियों को काउन्सलर के रूप में नियुक्त करना होगा। यदि राजपद पर अवयस्क व्यक्ति बैठता है तो 21 वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्ति को रीजेन्ट (Regent) नियुक्त करना होगा।

5. राजपद पर आरूढ़ व्यक्ति के परिवार के लिये व्यय की व्यवस्था 1972 के दीवानी सूची अधिनियम (Civil list Act) अधीन है। 1984 में महारानी को प्रदान की जाने वाली राशि में 3.78 प्रतिशत की वृद्धि की गई और अब उन्हें 38.5 लाख पौण्ड वार्षिक भत्ता मिलता है।

राजपद की शक्तियाँ
(Powers of the Crown)

ब्रिटिश राजपद की शक्तियाँ बहुत व्यापक है। राजपद की शक्तियों के दो प्रमुख स्रोत हैं -

(अ) पार्लियामेण्ट द्वारा बनाये गये अधिनियम (Statutes ) - ये वे कानून हैं जिनके द्वारा समय-समय पर पार्लियामेण्ट ने क्राउन की शक्तियों की व्याख्या की है।

(ब) परमाधिकार (Prerogation) - ब्रिटेन में जनतंत्र के उदय के पूर्व राजा को अनेक शक्तियाँ प्रदान थीं किन्तु जनतंत्र के विकास के साथ-साथ राजा की शक्तियों में कमी होती गई फिर भी उसके पास कुछ शक्तियाँ ऐसी बच रहीं जिनका प्रयोग वह अपने विवेक से करता है। सिद्धांत रूप में ऐसा कोई भी कार्य जिसे परम्पराओं के आधार पर मंत्री नहीं करते महारानी के परमाधिकार के अन्तर्गत आता है।

कुछ अनुदारवादी विधानशास्त्री संप्रभु के परमाधिकारों की चर्चा बड़े उत्साह से करते हैं परन्तु उदार और श्रमिक दल से प्रभावित लेखक उनके मत से सहमत नहीं हैं डायसी (Dicey) का मत है 'परमाधिकार वे शक्तियाँ हैं जो राजमुकुट के हाथ में कानून के अनुसार शेष बची है और जिनका प्रयोग वह अपने विवेक के अनुसार करता है।

बेजहाट कीथ आदि की दृष्टि में - इंग्लैण्ड की रानी स्वेच्छा से प्रधानमंत्री को नियुक्त कर सकती है और स्वेच्छा से उसे अपदस्थ भी कर सकती है, स्वेच्छा से संसद द्वारा पारित विधियों पर निषेधाधिकार (Veto) का प्रयोग कर सकती है और लोक सदन को भंग कर नया निर्वाचन करा सकती है। उनकी दृष्टि में ये शक्तियाँ महारानी के परमाधिकार पर आधारित हैं जिनका उपयोग कभी असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता। फ्रेडरिक ऑग का मत है 'परमाधिकार वे शक्तियाँ हैं जिन्हें कोई प्रदान नहीं करता और जिन्हें केवल स्वीकार कर लिया गया है। रीति-रिवाजों के द्वारा उन्हें शासन प्रणाली का लक्षण माना गया है और यद्यपि संसद इच्छानुसार उनमें परिवर्तन कर सकती है और उन्हें समाप्त भी कर सकती है पर तो भी उन्हें सहन किया जाता है।

ओ. हुड फिलिप्स के अनुसार - राजपद के परमाधिकार दो प्रकार के हैं राजनीतिक और व्यक्तिगत। राजनीतिक परमाधिकारों के अन्तर्गत प्रधानमंत्री की नियुक्ति, लोक सदन का विघटन, संधियां करना और अपराधियों को क्षमा करना आदि आते है। व्यक्तिगत परमाधिकारों के अन्तर्गत 'राजा कभी नहीं मरता राजा कोई गलती नहीं करता' आदि सम्मिलित हैं।

ब्रिटेन के संवैधानिक इतिहास पर दृष्टिपात करने से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि राजपद की शक्तियाँ सदा परिवर्तनशील रही हैं राजा की व्यक्तिगत शक्तियों में कटौती के साथ राजपद की शक्तियों में लगातार वृद्धि होती रही है। मैग्नाकार्टा पिटीशन आफ राइटस एवं बिल आफ राइटस के द्वारा राजा की निरंकुश शक्तियों में काफी कमी की गई एवं संसद का नियंत्रण बढ़ा इस प्रकार राजा की वैयक्तिक शक्तियाँ क्षीण होती गई और राजपद की शक्तियाँ निरन्तर बढ़ती गयीं।

ब्रिटेन में राजपद की शक्तियों की विवेचना निम्नांकित आधारों पर की जा सकती हैं-

1. कार्यपलिकीय शक्तियाँ (Executive Powers) - राजपद सैद्धांतिक दृष्टि से कार्यपालिका का स्रोत है। उसकी कार्यपालन संबंधी प्रमुख शक्तियाँ निम्नांकित हैं -

(अ) संप्रभु प्रधानमंत्री को नियुक्त करता है और उसकी सिफारिश पर अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है। प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्री उसके प्रसाद पर्यन्त ही पद पर रहते है। वह सभी उच्च प्रशासनिक अधिकारियों, सेना के अधिकारियों, न्यायाधीशों, उपनिवेशों के गवर्नरों, कूटनीतिक प्रतिनिधियों, जैसे राजदूत एवं वाणिज्यदूत आदि को नियुक्त करता है। उसे आयोगों को नियुक्त करने का भी अधिकार है। न्यायाधीशों को छोड़कर उसे उक्त सभा नियुक्त पदाधिकारियों को पद से हटाने का अधिकार है। न्यायाधीशों को उसके द्वारा तभी पदमुक्त किया जा सकता है जबकि पार्लियामेण्ट के दोनों सदन न्यायाधीशों को पदमुक्त करने का प्रस्ताव पारित करें।

(ब) ब्रिटिश क्राउन ब्रिटेन की सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर होता है। उसे युद्ध घोषणा करने एवं शांति स्थापित करने का भी अधिकार है।

(स) वह ब्रिटेन के पर राष्ट्र संबंधों की व्यवस्था करता है।

उसे विदेशों में कार्यरत ब्रिटिश राजदूतों, वाणिज्यदूतों को निर्देश भेजने का अधिकार है। उसे विदेशी राज्यों से वार्ता करने का अधिकार है एवं संधि को वापस लेने, पुष्टि करने और लागू करने का भी अधिकार है। उन संधियों में पार्लियामेण्ट की स्वीकृति की भी आवश्यकता पड़ती है जो क्षेत्रीय व धन संबंधी होती हैं या जिनमें यह धारा होती है कि उसके लागू होने के लिये पार्लियामेण्ट की स्वीकृति अनिवार्य है। समस्त अन्तर्राष्ट्रीय समझौते ब्रिटिश राजपद के नाम से ही किये जाते हैं।

(द) राजपद को सम्मान का स्रोत कहा जाता है। उसे पीर (Peer) बनाने, बैरन नाइट्स तथा अन्य सम्मान प्रदान करने की शक्ति प्राप्त है।

(य) ब्रिटिश संप्रभु धार्मिक व्यवस्था का भी प्रधान है। इंग्लैण्ड में एक्लिकन चर्च है जिसका कि वह प्रधान है। क्राउन ही आर्कबिशप और बिशप धार्मिक पदों पर नियुक्ति करता है।

इंग्लैण्ड के चर्च की भाँति वह स्काटलैण्ड के 'प्रेसबिटोरियन' चर्च का प्रमुख है।

(२) सभी ब्रिटिश उपनिवेशों और अधीनस्थ क्षेत्रों के अधिकारी ब्रिटिश संप्रभु के द्वारा ही नियुक्ति कर पाते हैं। वह अधिराज्यों जैसे कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि के गवर्नर जनरल की नियुक्ति भी करता है।

2. व्यवस्थापिकीय शक्तियाँ (Legislative Powers ) - ब्रिटेन में 'संसद सहित राजा' का विचार मान्य है। व्यवस्थापन के क्षेत्र में ब्रिटिश संप्रभु को निम्नांकित शक्तियाँ प्राप्त हैं .

1. उसे संसद के दोनों सदनों का अधिवेशन आहूत करने एवं सत्रावसान करने का अधिकार है। यद्यपि सदन के स्थगन का अधिकार सदन को स्वयं प्राप्त है लेकिन कई अवसरों पर उसके द्वारा सदन के स्थगन की इच्छा प्रकट की गई जिसे माना गया।

2. राजमुकुट को लोकसदन के विघटन का भी अधिकार है। कई विचारक उसके इस अधिकार को 'परमाधिकार' की श्रेणी में रखते हैं।

3. प्रत्येक सत्र के प्रारंभ में संप्रभु संसद के अधिवेशन को संबोधित करता है। यदि वह कभी स्वयं उपस्थित नहीं हो पाता है तो उसका भाषण लार्ड सभा का चांसलर पढ़ता है। वह दोनों सदनों के लिये सन्देश भी भेज सकता है।

4. प्रत्येक विधेयक दोनों सदनों की स्वीकृति के बाद तभी कानून बन सकता है जब उस पर राजमुकुट के हस्ताक्षर हो जाते हैं।

5. उसे प्रधानमंत्री की सिफारिश पर 'पीर' बनाने का अधिकार है जो लार्ड सभा के सदस्य होते हैं। यद्यपि अब इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।

6. पिछले कुछ समय से विधायन कार्य बढ़ने से ब्रिटिश संप्रभु को व्यवस्थापन संबंधी अधिकार मिल गया है। संसद अनेक विधेयकों की मोटी रूपरेखा पारित कर देती है। इसके अंतर्गत नियम व उपनियम बनाने का कार्य राजमुकुट प्रशासन की सहायता से आर्डर इन काउन्सिल के रूप में होता है जो राजमुकुट की आशायें होती हैं। इस व्यवस्था को प्रदत्त व्यवस्थापन कहते हैं।

3. न्यायिक शक्तियाँ (Judicial Powers ) - ब्रिटिश राजमुकुट को 'न्याय का स्रोत कहा जाता है। उसे न्यायिक क्षेत्र में निम्नांकित शक्तियाँ प्राप्त हैं :

1. न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार ब्रिटिश संप्रभु को प्राप्त है। सभी न्यायालय या न्यायाधीश राजा या रानी के न्यायालीय कहलाते हैं।

2. अपराधियों के दण्ड को कम करने या क्षमा देने की शक्ति भी उसे प्राप्त है।

3. ब्रिटेन के सभी उपनिवेशों की अपीलें 'प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति की सलाह पर ब्रिटिश संप्रभु द्वारा निर्णीत की जाती है।

राजपद में निहित इन सभी सभी शक्तियों का संपादन सिद्धांत राजा या रानी के द्वारा किया जाता है परन्तु व्यावहारिक स्थिति भिन्न है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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